माँ के कंधे पर
अपना चेहरा रखकर
मिट जाती है मेरी
मीलों लम्बी थकान
कोई योगाचार्य नहीं समझ सकता
कितना सुकुन मिलता है
मुझे इस आसन से।
अपना चेहरा रखकर
मिट जाती है मेरी
मीलों लम्बी थकान
कोई योगाचार्य नहीं समझ सकता
कितना सुकुन मिलता है
(कवि, लेखक एवं समीक्षक)
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