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बुधवार, 26 अप्रैल 2017

टूटा चश्मा


माँ ने आवाज दी बेटा पवन बहुत दिन से मेरा चश्मा टूटा हुआ है एक दाँत भी हिल रहा है। न ठीक से देख पा रही हूँ और न ही ठीक से खाना खा पा रही हूँ। माँ की बात सुनकर पवन ने अपनी पत्नी गीता की ओर देखते हुये दबे स्वर में कहा- माँ इस बार तुम्हारे पोते राजू का एडमिशन करवाना है उसकी किताब-कॉपियों का खर्चा भी बहुत अधिक है। आप तो जानती ही हो मुझे अभी कितने लोगों का उधार चुकाना है। अगले महीने कोशिश करूंगा।
            तभी दरवाजे की घंटी बजी गीता ने दरवाजा खोला और पवन से बोली सुनो जी, बाहर वृद्धाश्रम से कुछ लोग चंदा मांगने आए हैं। कह रहे हैं एक लाख रूपये दोगो तो आपके नाम से वहाँ एक कमरा बनवाया जायेगा जिससे लोग आपको सदियों तक याद करेंगे। मैं तो कहती हूँ पुण्य के कामों में देरी नहीं करना चाहिए और फिर जरूरत पड़ने पर वृद्धाश्रम के उस कमरे में तुम्हारी माँ भी तो रह सकती हैं। पवन ने गीता की हाँ में हाँ मिलायी और तुरंत एक लाख रूपये का चेक वृद्धाश्रम के लिए दे दिया। 

बेटे और बहू की यह सब बातें सुनकर दाँत दर्द को सहते हुए माँ अपने पुराने और टूटे हुए चश्मे को फिर से जोड़ने की कोशिश करने लगी।

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